डॉ. ज़ाकिर हुसैन खान
डॉ. ज़ाकिर हुसैन भारत के पहले मुस्लिम राष्ट्रपति थे और भारत के तीसरे राष्ट्रपति। इनका कार्यकाल 13 मई 1967 से 3 मई 1969 तक रहा। ज़ाकिर हुसैन एक भारतीय Educationist और Politician थे। ज़ाकिर हुसैन अपने कार्यकाल के दौरान कनाडा, हंगरी, यूगोस्लाविया, यूएसएसआर और नेपाल राज्यों की यात्राओं को visit करके इनका नेतृत्व किया। ज़ाकिर हुसैन किसी राज्य के पहले गवर्नर भी थे। भारत के विभाजन के बाद ज़ाकिर हुसैन ने भारत में ही रहना पसंद किया। इन्हे अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी का vice chancellor नियुक्त किया गया, जिसे इन्होने उच्च शिक्षा को राष्ट्रिय संसाधन के रूप में बनाए रखने में मदद की। शिक्षा के क्षेत्र में इनके अपार सेवाओं के लिए ज़ाकिर हुसैन को 1954 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। ज़ाकिर हुसैन को 1952 से लेकर 1957 तक भारतीय संसद का मनोनीत सदस्य बनाया गया। हुसैन को भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया है। ज़ाकिर हुसैन 1957 से लेकर 1962 तक बिहार के राजयपाल के रूप में काम किया और 1962 में ही यह भारत के उपराष्ट्रपति के लिए चुने गए। इनको राष्ट्रपति के लिए 1967 में चुना गया। इनसे पहले सर्वपल्ली राधाकृष्णन राष्ट्रपति थे और इनके बाद ही ज़ाकिर हुसैन को राष्ट्रपति के लिए चुना गया। यह पहले पदाधिकारी जिनका अपने पद पे रहते हुए मृत्यु हो गयी जिसके वजह से भारतीय इतिहास में राष्ट्रपति के पद पे रहते हुए राष्ट्रपति का सबसे छोटा कार्यकाल रहा है। इनकी मज़ार दिल्ली में जामिया मिलिया इस्लामिया के परिसर में बना है। गुलाबों में इनका interest बहुत था जवाहर लाल नेहरू की तरह, जिसके वजह से हुसैन को राष्ट्रपति भवन के गार्डन में कई नयी किस्मों के गुलाब को पेश करने और रसीले फूलों के संग्रह के लिए एक गिलास कंज़र्वेटरी का निर्माण करने का श्रेय दिया जाता है।
ज़ाकिर हुसैन का जीवन
ज़ाकिर हुसैन का जन्म 08 फरारी 1897 को हैदराबाद के एक अफरीदी पश्तून परिवार में हुआ था। इनके पूर्वज अभी के उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद ज़िले के कायमगंज शहर में आके बस गए थे, यही रहते हुए हुसैन की स्कूली शिक्षा इटावा से हुई और उसके बाद मोहम्मडन एंग्लो-ओरिएण्टल कॉलेज, अलीगढ और बर्लिन यूनिवर्सिटी में अध्ययन किया। इनके पिता, फ़िदा हुसैन खान दक्कन चले गए और हैदराबाद में एक सफल क़ानूनी करियर स्थापित किया और वहीं पे 1852 में बस गए। हुसैन, फ़िदा खान और नाज़नीन बेगम के सात बेटों में से तीसरे थे। ज़ाकिर हुसैन ने घर पर रह कर ही क़ुरान, फ़ारसी और उर्दू की शिक्षा प्राप्त की। कुछ लोगों का कहना है की इनकी प्राथमिक स्कूली शिक्षा हैदराबाद के सुल्तान बाजार स्कूल में हुई थी। 1907 में हुसैन की पिता के मृत्यु के बाद हुसैन का परिवार कायम गंज वापस आ गया और इनका admission इटावा के इस्लामिया हाई स्कूल में कराया गया। हुसैन की माँ और इनके परिवार के कई सदस्यों की मृत्यु, 1911 में फैले प्लेग महामारी की वजह से हो गयी।
ज़ाकिर हुसैन का शैक्षिक जीवन
हुसैन जामिया मिलिया इस्लामिया के संस्थापक सदस्य थे, जिसे असहयोग आंदोलन के जवाब में एक स्वतंत्र राष्ट्रिय यूनिवर्सिटी के रूप में स्थापित किया गया था। ज़ाकिर हुसैन ने 1926 से लेकर 1948 तक यूनिवर्सिटी के vice-chancellor के रूप में काम किया। हुसैन ने बेसिक राष्ट्रिय शिक्षा समिति की एक नयी शैक्षिक निति तैयार की जिसे नयी तालीम के नाम से जाना जाता है, जिसमे पहली भाषा में free और compulsary education पर ज़ोर दिया गया। हुसैन मुसलमानों के लिए अलग से निर्वाचन क्षेत्रों की निति के विरोध में थे।
हुसैन ने लखनऊ क्रिस्चियन कॉलेज में बैचलर ऑफ़ साइंस की डिग्री के लिए admission लिया लेकिन बीमारी की वजह से इनको अपनी पढ़ाई बीच में ही बंद करनी पड़ी लेकिन एक साल बाद यह फिर से अलीगढ़ के कॉलेज में आ गए। 1918 में हुसैन ने दर्शनशास्त्र, अंग्रेजी साहित्य और अर्थशास्त्र से स्नातक (graduate) की उपाधि प्राप्त की। हुसैन को कॉलेज के छात्र संघ के उपाध्यक्ष चुने गए जिसमे इनके वाद-विवाद की कौशलता के लिए इनको पुरस्कृत किया गया। हुसैन ने अपनी स्नाकोत्तर (Post graduate) की पढ़ाई के लिए कानून और अर्थशास्त्र को चुना। 1920 में इनको मास्टर डिग्री प्राप्त करने के बाद कॉलेज में lecturer के रूप में appoint किया गया।
1915 में, अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई के दौरान, हुसैन ने शाहजहां बेग़म से शादी की, जिनसे इनकी दो बेटियां हुईं जिनके नाम थे सईदा खान और सफिया रहमान। सफिया रहमान की शादी मुस्लिम यूनिवर्सिटी के फिजिक्स के प्रोफेसर ज़ियाउल रहमान से हुई जबकि सईदा की शादी खुर्शीद आलम से हुई, जो केंद्रीय मंत्री और राजयपाल के रूप में कार्यरत थे। खुर्शीद आलम के बेटे सलमान खुर्शीद, 2012 में भारत के विदेश मंत्री बने।