फील्ड मार्शल कोदंडेरा मडप्पा करियप्पा (Kodandera Madappa Cariappa)भारत के पहले चीफ आर्मी(C-in-C) थे। यह बटालियन की कमान सँभालने वाले पहले भारतीय थे। इन्होने विभिन्न यूनिट और कमांडर मुख्यालय और जनरल मुख्यालय, नई दिल्ली में विभिन्न कर्मचारी पदों का कार्य किया।
प्रारंभिक जीवन
करियप्पा का जन्म 28 जनवरी 1899 को कर्नाटक के कुर्ग प्रान्त के शनिवारसंथे के कोड़वा समाज के एक किसान परिवार में हुआ था। इनके पिता राजस्व विभाग में काम करते थे। इनके रिश्तेदार इंक “चिम्मा” के नाम से बुलाते थे।
इन्हों ने 1917 में सेंट्रल हाई स्कूल की शिक्षा पूरी की उसके बाद आगे की पढ़ाई(स्नातक, 16 जुलाई 1920 को स्नातक में पास आउट हुए ) के लिए चेन्नई के प्रेजिडेंट कॉलेज में दाखिला लिया। कॉलेज की पढ़ाई के समय ही इनको पता चला की भारतीय सेना की भर्ती चल रही है जिसमे भारतीयों को भारत में ही प्रशिक्षित किया जा रहा था तो इन्होंने प्रशिक्षण के लिए आवेदन कर दिया। 70 आवेदकों में करियप्पा का स्थान 42वां था जिससे इनको इंदौर के डेली कैडेट कॉलेज में प्रवेश मिल गया। प्रशिक्षण में सभी पहलुओं पर इनका अच्छा स्कोर था जिससे इनको सातवें स्थान पर यह डिग्री प्राप्त किये।
करियप्पा ने 1947 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान पश्चिमी मोर्चे पर भारतीय सेना का नेतृत्व किया। 1949 में करियप्पा को कमांडर-इन-चीफ नियुक्त किया गया। करियप्पा, फिल्ड की पांच सितारा रैंक रखने वाले केवल दो भारतीय सेना अधिकारीयों में से एक हैं। भारतीय सेना के सी-इन-सी के रूप में कार्यभाल सँभालने से पहले करियप्पा ने भारतीय सेना के पूर्वी और पश्चिमी कमांडर के रूप में कार्य किया।
प्रारंभिक सेवा
करिअप्पा के स्नातक के बाद, 9 सितंबर 1922 को एक स्थाई कमीशन प्रदान किया गया, 17 जुलाई 1920 से प्रभावी हुआ। इन्हें अस्थाई सेकंड लेफ्टिनेंट के रूप में मुंबई में 88वीं कर्नाटक की दूसरी बटालियन में नियुक्त किया गया। 1 दिसंबर 1920 को इन्हें अस्थाई लेफ्टिनेंट के रूप में नियुक्त किया गया। करिअप्पा को 17 जुलाई 1921 को लेफ्टिनेंट का पद दिया गया।
पर्सनल लाइफ
करिअप्पा का विवाह मार्च 1937 में सिकंदराबाद में एक वन विभाग के अधिकारी की बेटी मुथु माचिया से हुआ था। इनके और इनके पत्नी के बिच 17 साल का अंतर था। करिअप्पा से वैचारिक मतभेद और इनके व्यावसायिक प्रतिवद्धताओं के कारण इनकी शादी टूट गयी और 1945 में दोनों बिना तलाक के अलग हो गए। तीन साल बाद इनके पत्नी की एक दुर्घटना में मृत्यु हो गयी। करिअप्पा और मुथु का एक बेटा और एक बेटी थी। इनका बीटा जिसे “नंदा” कहके बुलाते थे, भारतीय वायु सेना में शामिल हुआ और एयर मार्शल के पद तक पहुँचा।
मृत्यु
1991 में करिअप्पा का स्वास्थ्य बिगड़ने के कारण इनको बंगलौर कमांड अस्पताल में भर्ती किया गया। यह गठिया और ह्रदय की समस्याओं से पीड़ित थे। 15 मई 1993 इनकी नींद में ही मृत्यु हो गयी। दो दिन बाद इनका अंतिम संस्कार मदिकेरी में किया गया।