इलाहबाद यूनिवर्सिटी
इलाहबाद यूनिवर्सिटी को उत्तर प्रदेश की पहली यूनिवर्सिटी कहा जाता है। इलाहबाद विश्वविद्यालय (University), जिसका पहला नाम मुइर सेंट्रल कॉलेज था, की स्तापना 9 दिसंबर 1873 को भारत के गवर्नर-जनरल लार्ड नॉर्थब्रूक द्वारा की गयी थी। इसका पहला नाम “मुइर” संयुक्त प्रान्त के लेफ्टिनेंट गवर्नर सर विलियम मुइर के नाम पर रखा गया था, जो इसकी नीव(Foundation) रखने वाले पहले व्यक्ति थे। शुरू में यह कलकत्ता विश्वविद्यालय के तहत कार्य करता था और 23 सितम्बर 1887 को इसे इलाहाबाद विश्वविद्यालय के नाम से स्थापित किया गया। इसी के साथ-साथ यह भारत का पांचवां विश्वविद्यालय बन गया। इससे पहले चार विश्वविद्यालय थे जो निचे दिए गए हैं-
- कलकत्ता विश्वविद्यालय
- बॉम्बे विश्वविद्यालय
- मद्रास विश्वविद्यालय और
- लाहौर के पंजाब विश्वविद्यालय
यह भारत के सबसे पुराने विश्वविद्यालयों में से एक है। इस विश्वविद्यालय को पूर्व का ऑक्सफ़ोर्ड भी कहा जाता है। इसे राष्ट्रिय महत्त्व के संसथान (INI) के रूप में मान्यता प्राप्त है। इस विश्वविद्यालय की शुरुआत शास्त्रीय अभिविन्यास और माध्यमिक शिक्षा की ज़िम्मेदारी के साथ Graduate और Postgraduate की डिग्री के लिए एक सम्बद्धता(affiliate) और जाँच निकाय(examining body) के रूप में हुई। 1891 और 1922 के बीच भारत का सबसे पुराना विज्ञान महाविद्यालय, गवर्नमेंट साइंस कॉलेज, जबलपुर विश्वविद्यालय से एफिलिएट था। 1904 तक विश्वविद्यालय ने अपने खुद के शिक्षण विभाग स्थापित किये और डॉक्टरेट अनुसन्धान कार्यक्रम शुरू किये। 1921 में, इलाहबाद विश्वविद्यालय अधिनियम 1921 की घोषणा के साथ, मुइर सेंट्रल कॉलेज का विश्वविद्यालय में merge हो गया। इसे एकात्मक शिक्षण और आवासीय विश्वविद्यालय के रूप में reorganize किया गया। अगले कुछ सालों में इसके affiliate कॉलेजों को आगरा विश्वविद्यालय में ट्रांसफर कर दिया गया और माध्यमिक स्टार की परीक्षाएं आयोजित करने का काम स्थानांतरित कर दिया गया। विश्वविद्यालय ने कुछ संस्थानों को आर्ट, कॉमर्स, साइंस, और लॉ फैकल्टी के तहत undergraduate course पढ़ाने के लिए अधिकृत affiliate कॉलेजों के रूप में मान्यता दी। 1987 में विश्वविद्यालय के शताब्दी समारोह के दौरान छात्रों, शिक्षकों और कर्मचारियों की ओर से केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा देने की मांग की गयी थी। इन उपलब्धिओं और उत्तर प्रदेश के विश्वविद्यालयों में इसकी स्थिति को देखते हुए राज्य सरकार ने जुलाई 1992 में इसे एक “प्रमुख संसथान” के रूप में औपचारिक मान्यता प्रदान की। 2003 में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने विश्वविद्यालय की केंद्रीय universality की स्थिति को बहाल करने का निर्णय लिया। इस केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा अंततः 2005 में भारत के संसद द्वारा इलाहबाद विश्वविद्यालय अधिनियम के माध्यम से बहाल किया गया, जिसने विश्वविद्यालय को राष्ट्रिय महत्व का संसथान घोषित किया गया। निचे दिए हुए कॉलेज के नाम जो इलाहबाद विश्वविद्यालय से जुड़े हुए हैं-
- इलाहबाद डिग्री कॉलेज
- आर्य कन्या डिग्री कॉलेज
- चौधरी महादेव प्रसाद स्नाकोत्तर महाविद्यालय
- इविंग क्रिस्चियन कॉलेज
- गोविन्द बल्लभ पंत सामाजिक विज्ञान संसथान
- हमीदिया गर्ल्स डिग्री कॉलेज
- ईश्वर शरण डिग्री कॉलेज
- जगत तारण गर्ल्स डिग्री कॉलेज
- के. पी. ट्रेनिंग कॉलेज
- राजर्षि टंडन गर्ल्स डिग्री कॉलेज
- एस. एस. खन्ना गर्ल्स डिग्री कॉलेज
- इस. पी. एम. सरकार डिग्री कॉलेज।
भारत की संसद द्वारा इलाहबाद विश्वविद्यालय अधिनियम 2005 के माध्यम से इसकी केंद्रीय विश्वविद्यालय की स्थिति को फिर से स्थापित किया गया।