भारत में पहला मोबाइल कब आया।

भारत में मोबाइल के जनक श्री भूपेंद्र कुमार मोदी को कहा जा सकता है, इन्होने ही अपनी कंपनी “मोदी ग्रुप” को ऑस्ट्रेलिया की टेलीकॉम कंपनी “टेल्स्ट्रा” के साथ जुड़ कर “मोदी टेल्स्ट्रा” लांच किया था। मोदी टेल्स्ट्रा शुरुआत में भारत की सबसे बड़ी मोबाइल ऑपरेटर कंपनी थी। यह कंपनी बाद में “स्पाइस टेलीकॉम” से जानी जाने लगी।

“मोदी टेल्स्ट्रा” नाम क्यूँ पड़ा।

आज हम देख सकते हैं की कोई भी बाहर की या विदेशी कंपनी भारत में सीधा इन्वेस्ट कर सकती है और करती भी है जिसमे बिना देशी कंपनी के साथ alliance या गठबंधन किये अपने किसी भी प्रोडक्ट को भारत में बेच सकती है, लेकिन पहले ऐसा नहीं था। पहले किसी भी विदेशी कंपनी को भारत में इन्वेस्ट करने के लिए भारत के किसी भी एक कंपनी के साथ जो उसी फील्ड का हो, गठबंधन करना पड़ता था। इसीलिए ऑस्ट्रेलिया की कंपनी टेल्स्ट्रा को भारत की कंपनी मोदी ग्रुप से गठबंधन कर के अपनी टेलीकॉम कंपनी खोलना पड़ा। इसका नाम मोबाइल नेट था।

भारत में पहला मोबाइल कब आया।

भारत में पहला मोबाइल सेवा की शुरुआत 31 जुलाई 1995 को हुई थी। इस सेवा की शुरुआत दो मंत्रियों के बीच कॉल कर के की गयी थी। यह कॉल उस समय के पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री ज्योति बासु ने उस समय के केंद्रीय संचार मंत्री सुखराम को मोबाइल कॉल कर के इस सेवा की शुरुआत की थी। यह कॉल कोलकाता के राइटर्स बिल्डिंग में स्थित CM ऑफिस से दिल्ली में मौजूद संचार भवन में की गयी थी। यह पहली कॉल नोकिआ का मोबाइल हैंडसेट 2110 से किया गया था। यह मोबाइल उस समय का revolutionary मोबाइल था। यह दूसरे मोबाइल से देखने में छोटा, हल्का और बड़े स्क्रीन वाला था। इस मोबाइल से मैसेज को भेज भी सकते थे और प्राप्त भी कर सकते थे।

कितना महंगा था कॉल

शुरुआत में मोबाइल के आउटगोइंग के साथ साथ इनकमिंग के भी चार्ज लगते थे। हमें दोनों तरफ से पैसे देने पड़ते थे, किसी को फोन करना हो तब भी और किसी का फोन रिसीव करना हो तब भी। आउटगोइंग के लिए उस समय कॉल दर 16 रुपए प्रति मिनट था और इनकमिंग के लिए 8 रूपए प्रति मिनट था। उस समय सिम खरीदना भी बहुत महंगा पड़ता था, एक सिम की कीमत 4900 रूपए थी। इसी के वजह से इसका इस्तेमाल सिर्फ व्यापारी लोग ही कर पाते थे या बहुत पैसे वाले।

फ्री इनकमिंग कॉल की शुरुआत

2003 में मोबाइल पर फ्री इनकमिंग कॉल की शुरुवात हुई और आउटगोइंग का दर भी काम हो गया। इसकी वजह से ग्राहकों की संख्या के साथ साथ मोबाइल फोन में भी इजाफा हुआ।

मोबाइल में जनरेशन की शुरुवात और उसकी सुविधाएं

2G

1998 में, 2G की सेवाएं शुरू हो गयी थीं, जिसमे डिजिटल वॉइस कालिंग और टेक्स्ट मैसेज आसान हो गया।

 3G

2008 में, 3G की सेवाएं शुरू हो गयीं थीं। इसमें मोबाइल इंटरनेट की स्पीड अच्छी मिलने लगी। इस सेवा में वीडियो कालिंग, मोबाइल ब्राउज़िंग और कई तरह के ऐप्प्स का इस्तेमाल आसान हो गया।

4G

2016 में, 4G  की शुरुआत हुई। इस सेवा की शुरुआत रिलायंस जिओ ने की। इसमें पूरी तरह मुफ्त वॉइस कॉल की सुविधा मिलने लगी और सबसे कम दर में इंटरनेट सेवा। 4G आने के बाद मोबाइल कंपनियों के 4G वाले मोबाइल का बिक्री दर बहुत तेज़ी से बढ़ा। इसके वजह से भारत की दूसरी कम्पनियां जो अपने प्राइस दर में मनमाना करतीं थीं उसपे लगाम लगा और इन कंपनियों को अपने सर्विस प्लान में चेंज करना पड़ा और सस्ता करना पड़ा। 4G के आने से और भी बहुत सी सुविधाएं आसान हो गयीं, जैसे UPI पेमेंट, ऑनलाइन लर्निंग, ग्रामीण इलाकों पे पकड़ जैसे शिक्षा में,  हेल्थ में, खेल इत्यादि में।

निष्कर्ष

भारत में मोबाइल फोन के आने से न केवल संचार में क्रांति आया, बल्कि देश के सारे सामाजिक और आर्थिक विकास का एक महत्वपूर्ण स्तम्भ बन गया और आने वाले वक़्त में इसका विस्तार तकनिकी प्रगति और डिजिटल सेवाओं में होगा और भारत के विकास को आगे बढ़ाते हुए एक नयी उड़ान देगा।

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