भारत में पहला ANDROID मोबाइल कब आया

दुनिया का पहला android मोबाइल था, HTC कंपनी का। HTC कंपनी का मॉडल था HTC Dream . इसको T-Mobile G1 के नाम से भी जाना जाता है। यह मोबाइल पहली बार  23 सितम्बर 2008 को अमेरिका में launch हुआ था।

भारत का पहला ANDROID मोबाइल।

भारत में पहला android मोबाइल 2009 में आया जो “HTC Dream” ही था । इसमें एंड्राइड का पहला वर्ज़न लांच किया गया। इस मोबाइल की स्पेसिफिकेशन की बात करें तो इसमें 3.15″ का डिस्प्ले, 3MP का रियर कैमरा, 1150 mAh की बैटरी थी। इसमें 256MB की इंटरनल मेमोरी और 192MB की RAM थी। इसके फ्रंट में कैमरा नहीं था। इस फोन में टचस्क्रीन डिस्प्ले के साथ साथ AZERTY की-बोर्ड आता था। आज कल के मोबाइल, कंप्यूटर और लैपटॉप में जो की-बोर्ड आता है वह QWERTY की-बोर्ड होता है। यह एंड्राइड वर्ज़न (1.6) “Donut” के नाम से भी जाना जाता है। इसमें 528 MHZ Qualcomm चिप था। इसका भारत में कीमत था, 14,999 . यह मोबाइल पूरी दुनिया में 24 जनवरी 2009 को उपलब्ध हुआ। यह मोबाइल 27 जुलाई 2010 को बंद हो गया था। इसकी मैन्युफैक्चरिंग बंद कर दी गयी थी। यह मोबाइल 3G सपोर्टेड था।

Supported Application

इसमें Gmail के साथ साथ Maps, Search, Talk और You Tube सपोर्ट करता था। इसमें google contacts और google calender sync करने का option भी था।

Operating System

यह मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम दुनिया का चौथा ऑपरेटिंग सिस्टम है। इससे पहले तीन ऑपरेटिंग सिस्टम्स थे-

  1. Symbian OS- यह ऑपरेटिंग सिस्टम Nokia के मोबाइल में देखने को मिलता था जो अब ख़त्म हो गया है।
  2. BlackBerry OS- यह ऑपरेटिंग सिस्टम BlackBerry के मोबाइल में देखने को मिलता था जो यह भी ख़त्म के बराबर है।
  3. iPhone OS- यह ऑपरेटिंग सिस्टम Apple के मोबाइल में देखने को मिलता है।

Android OS- यह ऑपरेटिंग सिस्टम आज कल के लगभग हर मोबाइल में देखने को मिलता है। सिर्फ दो प्रसिद्ध कम्पनियाँ, Apple और Huawei में एंड्राइड OS देखने को नहीं मिलता है नहीं तो इसके अलावा जितनी भी कम्पनियाँ हैं वो एंड्राइड OS पर ही चलती हैं। ऊपर दिए हुए 2 ऑपरेटिंग सिस्टम इसलिए फेल हो गयीं क्यू की उनका OS ज़्यादा यूजर फ्रेंडली नहीं था। ग्राहक को ऑपरेट करने में थोड़ी परेशानी का सामना करना पड़ता था इसकी वजह से ग्राहकों ने इसे नकार दिया। जब तक एंड्राइड नहीं आया था तो पुराने वाले OS सही लगते थे क्यू की मार्किट में कोई अच्छा कॉम्पिटिटर नहीं था, एंड्राइड के आने के बाद एक और competitor जुड़ गया जो इन ऑपरेटिंग सिस्टम से बहुत ही अच्छा था और इस्तेमाल करने में भी आसान था जिसकी वजह से यह सब ख़त्म हो गए।

NOKIA के फेल होने की वजह

नोकया की सबसे बड़ी गलती यह थी की यह एंड्राइड के दौर में Symbian से android में न आके window में चला गया जिसे ग्राहकों ने पूरी तरह से नकार दिया। जब तक यह Android में आता तब तक बहुत सी कम्पनियाँ मार्किट में आ चुकी थी जो एंड्राइड पर काम करती थी और अपना performance भी बहुत अच्छा दिया जिसकी वजह से nokia को मार्किट में आते आते यह कम्पनियाँ मार्किट में अपना छाप छोड़ चुकी थीं, इसका खामियाज़ा भुगतना पड़ा।

BlackBerry के फेल होने की वजह

जब तक एंड्राइड नहीं आया था तब तक यह कंपनी बहुत ही अच्छा काम करती थी और इसका OS भी बहुत अच्छा था लेकिन इसके मोबाइल की कीमत इतने ज़्यादा रहते थे की हर कोई इसे नहीं खरीद सकता था इसके fail होने की एक वजह यह भी थी। यह कंपनी अपने मोबाइल को बहुत ही कम upgrade करती थी। इसका जो पुराना कांसेप्ट था की यह अपने हर मोबाइल में QWERTY की-बोर्ड देती थी, वो सबको पसंद नहीं आता था। जब सारी कम्पनियाँ अच्छा मॉडल और टचस्क्रीन वाले मोबाइल निकाल रही थीं तब यह अपना पुराना वाला ही मोबाइल चला रही थी। कुछ दिन बाद इसने अपना टचस्क्रीन वाला मोबाइल निकाला फिर भी वह मोबाइल नहीं चले क्यू की यह उस टचस्क्रीन वाले मोबाइल में भी अपना वही QWERTY की-बोर्ड लगा दिया जो यूजर फ्रेंडली नहीं था और operate करने में भी बहुत मुश्किल होता था जिसकी वजह से यह flop हो गया।

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