भारत पहली बार ओलम्पिक मैडल कब जीता।

भारत का पहला ओलम्पिक मैडल

भारत पहली बार ओलम्पिक में कब गया था – भारत पहली बार 1900 में ओलम्पिक खेलों में भाग लिया जिसमे पहली बार में ही भारत 2 पदक अपने नाम किया। भारत को यह पदक एथेलेटिक्स में मिला। यह पदक जितने वाले खिलाड़ी का नाम था नार्मन प्रिज़ार्ड।  इन्होने दो रजत पदक (Silver medal) जीते थे जिससे ओलिंपिक मैडल जितने वाला भारत एशिया का पहला देश बना। भारत जितने भी ओलिंपिक मैडल जीते हैं वो सारे गर्मी के मौसम में होने वाले ओलम्पिक खेलों में जीते हैं, ठंडी के मौसम में होने वाले ओलिंपिक खेलों में भारत को एक भी पदक नहीं मिले हैं। 1920 से 1980 तक एक लम्बे समय तक भारतीय राष्ट्रिय हॉकी टीम का ओलिंपिक में दबदबा रहा है जिसमे भारत ने 12 खेलों में 11 पदक जीते थे जिसमे से 8 स्वर्ण पदक (Gold medal) थे। 1928 से 1956 भारत ने लगातार 6 स्वर्ण पदक जीते थे।

भारत 1947 तक ब्रिटिश शासन के अधीन रहने के बावजूद, ब्रिटिश टीम से अलग ओलम्पिक खलों में हिस्सा लिया। भारतीय ओलिंपिक आंदोलन 1920 के दशक के दौरान स्थापित किया गया इसके बाद भारत ने 1920 के ओलम्पिक में एक टीम भेजी जिसमे तीन एथलिट, दो पहलवान और मैनेजर सोहराब बहुत और ए. एच. ए. फिजी शामिल थे। 1923 में एक अस्थाई अखिल भारतीय ओलम्पिक समिति का गठन किया गया और एक 1924 में, 1924 में गर्मी के ओलम्पिक के लिए एक टीम का चयन करने के लिए अखिल भारतीय ओलम्पिक खेल, जो बाद में भारत का राष्ट्रिय खेल बन गया आयोजित किये गए थे। पेरिस ओलम्पिक में भरतीय प्रतिनिधिमंडल में 7 एथलिट, 7 टेनिस खिलाड़ी और 3 मैनेजर शामिल थे।

आज़ाद भारत का पहला ओलम्पिक मेडल जितने वाला खिलाड़ी।

 

के.डी. जाधव एक भारतीय फ्रीस्टाइल पहलवान थे इन्होंने 1952 में हेलसिंकी में खेले जाने वाले ओलम्पिक में कांस्य  पदक (Bronze medal) जीते थे। के.डी. जाधव आज़ाद भारत के पहले ओलम्पिक मैडल जितने वाले खिलाड़ी थे। इनका जन्म महाराष्ट्र राज्य के सतारा ज़िले के कराड तालुका के गोलेश्वर नमक गांव में 15 जनवरी 1926 को हुआ था। जाधव, प्रसिद्ध पहलवान दादासाहेब जाधव के 5 बेटों में सबसे छोटे थे। इन्होने अपनी स्कूली शिक्षा सतारा ज़िले के तिलक हाई स्कूल में 1940 और 1947 के बीच की। इनका परिवार एक कुश्ती वाला परिवार थे जिसमे यह परिवार के साथ ही रहकर कुश्ती सीखी। इनके पिता दादासाहेब एक कुश्ती कोच थे जिन्होने जाधव को 5 साल की उम्र से ही कुश्ती सीखना शुरू किया। कॉलेज में इनको दो गुरु थें जिनके नाम थे-

  1. बाबूराव बालावड़े
  2. बेलापुरी गुरूजी

इनकी कुश्ती की कुशलता बहुत अच्छी थी जिससे इन्हें अच्छे ग्रेड प्राप्त करने में मदद मिला। 1948 में जाधव ने अपनी कुश्ती की कैरियर की शुरुवात की और पहली बार 1948 के लन्दन ओलम्पिक में सुर्खिओं में आए जब इन्होने फ्लाईवेट वर्ग में छठे स्थान पर आए। 1948 तक व्यक्तिगत वर्ग में इतना ऊँचा स्थान हासिल करने वाले पहले भारतीय थे। अगले 4 वर्षों तक इन्हों ने हेलसिंकी ओलम्पिक के लिए कठिन परिक्षण लिए और बैंटमवेट वर्ग (57 kg) में भाग लया। इसमें 24 विभिन्न देशो के पहलवान शामिल हुवे थे। इन्हों ने मैक्सिको, जर्मनी और कनाडा जैसे देशों के पहलवानों को हराया लेकिन सेमीफइनल के मुकाबले में हार गए। लेकिन कांस्य पदक के लिए जाधव ने वापसी की और अपने नाम एक ओलम्पिक मैडल किया। इस तरह यह स्वतंत्र भारत के पहले ओलम्पिक विजेता बने।

1927 में भारतीय ओलिंपिक समिति भरतीय ओलम्पिक संघ बन गयी , इसका मुख्य काम भारत में खेलों के विकास को बढ़ावा देना, राष्ट्रिय खेलो के लिए मेजबान शहरों का चयन करना और खेलों में चुनी गयी टीमों को ओलम्पिक में भेजना था। इस समय भारतीय हॉकी महासंघ की स्थपना हो गयी थी और सोंधी के नेतृत्व में इस टीम को ओलम्पिक में भेजा गया। 1932 के खेलों में राष्ट्रिय हॉकी टीम को 4 ऐथलीटों और 1 तैराक के साथ और 1936 में 4 एथलीटों, 3 पहलवानों, 1 भारोत्तोलक के साथ अधिकारिओं के साथ भेजा गया।

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